सीतापुर में बीएसए-प्रधानाचार्य विवाद: पत्नी बोलीं- शिक्षिका की हाजिरी का था दबाव

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सीतापुर में बीएसए-प्रधानाचार्य विवाद: अब सामने आईं प्रधानाचार्य की पत्नी, शिक्षिका की अटेंडेंस को बताया पूरा विवाद की जड़

सीतापुर। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और प्रधानाचार्य के बीच हुआ विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है। बीएसए को बेल्ट से पीटने की घटना ने पूरे शिक्षा विभाग को हिला दिया है। अब इस प्रकरण में नया मोड़ आया है—प्रधानाचार्य बृजेंद्र कुमार वर्मा की पत्नी सीमा वर्मा सामने आई हैं और उन्होंने पूरे मामले पर गंभीर आरोप लगाए हैं।


पत्नी का बड़ा दावा: शिक्षिका की उपस्थिति दर्ज कराने का दबाव

प्रधानाचार्य की पत्नी सीमा वर्मा ने कहा कि उनके पति को लगातार एक महिला शिक्षिका की उपस्थिति दर्ज करने का दबाव बनाया जा रहा था। जब उन्होंने मना कर दिया तो बीएसए ने उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

  • पहले उनके पति से तीन साल का स्कूल रिकॉर्ड मांगा गया।

  • उसके बाद दस साल का पूरा ब्यौरा देने के लिए मजबूर किया गया।

  • जब उन्होंने सभी कागजात जमा कर दिए, तब भी उन्हें बीएसए कार्यालय में बुलाकर दबाव बनाया गया।

  • सीमा के अनुसार, कार्यालय में कहासुनी के बाद गुस्से में आकर प्रधानाचार्य ने बीएसए की पिटाई कर दी।


पृष्ठभूमि: पहले भी विवादों में घिरा रहा विद्यालय

यह पहली बार नहीं है जब इस विद्यालय का नाम विवादों में आया हो।

  • प्रधानाचार्य बृजेंद्र वर्मा के खिलाफ पहले भी शिकायतें की गई थीं, लेकिन जांच में वे निर्दोष पाए गए।

  • इसके बाद विद्यालय के शिक्षक संतोष कुमार वर्मा पर सोशल मीडिया पर राजनीतिक पोस्ट करने और अनुपस्थित रहने का आरोप लगा।

  • विधायक आशा मौर्या की शिकायत पर बीएसए ने शिक्षक संतोष को निलंबित कर दिया।

  • विद्यालय में बची एक मात्र शिक्षिका अवंतिका गुप्ता को बीएसए ने प्रतियोगी परीक्षा के उड़नदस्ते में शामिल करा दिया।

परिणामस्वरूप विद्यालय में पढ़ाई प्रभावित होने लगी और बच्चों की शिक्षा बाधित हुई।


विवाद की जड़ बना अवंतिका गुप्ता को दिया नोटिस

प्रधानाचार्य बृजेंद्र वर्मा ने 18 सितंबर को सहायक अध्यापिका अवंतिका गुप्ता को एक नोटिस जारी किया।

  • नोटिस में उल्लेख था कि बीएसए के आदेशानुसार 17 जुलाई से 22 जुलाई तक और 28 जुलाई से 20 अगस्त तक वे परीक्षाओं के उड़नदस्ते में ड्यूटी पर थीं।

  • उनसे कहा गया कि 21 अगस्त से 20 सितंबर तक जहां भी रहीं, वहां के प्रभारी का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें, तभी उनकी उपस्थिति पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

यह नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। शिक्षिका ने इसे अपमानजनक बताते हुए बीएसए से शिकायत कर दी। इसी शिकायत पर जवाब देने के लिए बृजेंद्र वर्मा को बीएसए कार्यालय बुलाया गया। यहीं पर दोनों के बीच विवाद मारपीट में बदल गया।


बीएसए कार्यालय का माहौल और चर्चा

घटना के अगले दिन बीएसए कार्यालय का नजारा पूरी तरह बदल गया।

  • फरियादी और शिक्षक कम संख्या में पहुंचे।

  • हर कोई केवल पिटाई की घटना पर चर्चा करता रहा।

  • बीएसए सुबह की बजाय दोपहर में कार्यालय पहुंचे और शाम 5 बजे तक काम निपटाया।


राजनीतिक बयानबाजी ने और बढ़ाई गरमी

यह मामला अब राजनीतिक रंग भी लेने लगा है।
सपा के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह वर्मा ने कहा—

  • ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि शिक्षिका लंबे समय से विद्यालय नहीं आ रही थीं।

  • बीएसए और शिक्षिका एक ही जिले के रहने वाले हैं।

  • प्रधानाचार्य से दबाव डाला जा रहा था कि महीने में एक दिन उपस्थिति दर्ज कराकर पूरे महीने की हाजिरी लगा दी जाए।

  • यह मानसिक उत्पीड़न इतना बढ़ गया कि अंततः प्रधानाचार्य हिंसक हो गए।


सवालों के घेरे में बीएसए और शिक्षिका

घटना के बाद अब सवाल उठने लगे हैं—

  1. क्या शिक्षिका को बीएसए का संरक्षण प्राप्त था?

  2. क्या प्रधानाचार्य वाकई लगातार दबाव और उत्पीड़न झेल रहे थे?

  3. क्या जांच निष्पक्ष होगी या केवल प्रधानाचार्य को ही दोषी ठहराया जाएगा?

  4. इस विवाद की कीमत आखिरकार शिक्षा व्यवस्था और छात्रों को क्यों चुकानी पड़ रही है?


निष्कर्ष

सीतापुर की यह घटना केवल एक मारपीट का मामला नहीं है, बल्कि यह शिक्षा विभाग में व्याप्त दबाव, राजनीति और अंदरूनी खींचतान की गहरी तस्वीर भी दिखाती है। अब देखना होगा कि जांच में क्या निकलकर सामने आता है—क्या यह मामला सिर्फ एक गुस्सैल प्रधानाचार्य तक सिमटेगा या फिर पूरे तंत्र की परतें खुलेंगी।

Ashu Jha : Bharat Kranti News
Author: Ashu Jha : Bharat Kranti News

Ashu Jha एडिटर, भारत क्रांति न्यूज़ Ashu Jha भारत क्रांति न्यूज़ के एडिटर हैं और निष्पक्ष, सटीक व ज़मीनी पत्रकारिता के लिए पहचाने जाते हैं। वे समाचारों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करते हुए टीम का नेतृत्व करते हैं। उनका ध्यान जनता से जुड़े मुद्दों, सरकारी नीतियों के असर और सामाजिक सरोकारों पर रहता है। Ashu Jha का मानना है कि पत्रकारिता केवल सूचना नहीं बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन का माध्यम है।

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