भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी आवाज बनी जानलेवा, कमलाकांत दुबे हत्याकांड में पुलिस पर टिकी निगाहें
ज्ञानपुर (भदोही)।
घसकरी गांव निवासी क्लीनिक संचालक कमलाकांत दुबे की हत्या ने जिले की कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों और परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते प्रशासन ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से लिया होता और सुरक्षा उपलब्ध कराई गई होती, तो शायद यह दर्दनाक घटना टाली जा सकती थी।
परिजनों के मुताबिक, कमलाकांत दुबे पिछले कई महीनों से ग्राम प्रधान और उसके परिजनों द्वारा धमकाए जा रहे थे। उन्होंने इसकी जानकारी मौखिक और लिखित रूप में स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को भी दी थी। इसके बावजूद उन्हें किसी तरह की सुरक्षा नहीं दी गई। वायरल हो रहे वीडियो में भी कमलाकांत ने अपनी जान को खतरा बताया था और प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल उठाए थे।
घटना के बाद गांव में आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की सजा कमलाकांत को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। लोगों ने मांग की है कि फरार आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी के साथ-साथ पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
पुलिस प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दी जा रही है। पुलिस अधीक्षक अभिमन्यु मांगलिक ने कहा कि सर्विलांस और एसओजी की टीमें तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों की लोकेशन ट्रैक कर रही हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि फरार आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर कानून के हवाले किया जाएगा।
वहीं, राजनीतिक हलकों में भी इस हत्याकांड को लेकर हलचल तेज हो गई है। कई दलों के नेताओं ने इसे लोकतंत्र और पारदर्शिता पर हमला बताया है और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। साथ ही यह भी मांग उठी है कि ऐसे मामलों में शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस नीति बनाई जाए।
कमलाकांत दुबे की हत्या ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को आखिर कब तक डर और असुरक्षा के साए में जीना पड़ेगा। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी और सख्ती दिखाता है और क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है या नहीं।
Author: Ashu Jha : Bharat Kranti News
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