40 पीपा ही जुड़ सका, दिसंबर में पीपा पुल शुरू होना मुश्किल
सीतामढ़ी। जिले में पीपा पुलों का निर्माण धीमी गति से होने के कारण आम लोगों की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। दिसंबर माह भी लगभग आधा बीत चुका है, लेकिन अब तक जिले के किसी भी पीपा पुल का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। रामपुर, सीतामढ़ी और धनतुलसी—तीनों स्थानों पर निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है।
धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के स्थल सीतामढ़ी में पीपा पुल का निर्माण लोक निर्माण विभाग, मिर्जापुर द्वारा कराया जा रहा है। हालांकि यहां निर्माण की रफ्तार बेहद धीमी है। मौजूदा प्रगति को देखते हुए दिसंबर माह में पुल का चालू हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
जानकारी के अनुसार, शुक्रवार तक सीतामढ़ी की ओर से 40 पीपा जोड़े जा चुके हैं, जबकि अभी भी 50 से अधिक पीपों को जोड़ना बाकी है। वहीं मिर्जापुर के मिश्रपुर गंगा घाट की ओर गंगा के तेज बहाव के कारण निर्माण कार्य में लगातार बाधाएं आ रही हैं।
शुक्रवार को गंगा के जल बहाव का रूट डायवर्जन करने के उद्देश्य से नदी में बालू से भरी बोरियां डाली जा रही थीं। हालांकि अब गंगा का जलस्तर कम हो गया है और कई स्थानों पर रेत के टीले दिखाई देने लगे हैं, इसके बावजूद निर्माण कार्य अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रहा है।
गौरतलब है कि इन तीनों पीपा पुलों के माध्यम से प्रतिदिन औसतन 25 हजार लोग आवागमन करते हैं। पुल निर्माण में देरी से स्थानीय लोगों के साथ-साथ श्रद्धालुओं और यात्रियों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सीतामढ़ी पीपा पुल के जेई श्रवण कुमार ने बताया कि गंगा में बालू की बोरियां डालकर धारा परिवर्तन का प्रयास किया जा रहा है और इसी माह पीपा पुल को चालू करने का प्रयास किया जा रहा है।
वहीं क्षेत्र के श्याम बहादुर सिंह, सुनील सिंह, दुर्गेश तिवारी और ऐश बहादुर सिंह सहित अन्य लोगों ने जिला प्रशासन से शीघ्र पीपा पुल का निर्माण पूरा कराने की मांग की है। लोगों का कहना है कि पुल चालू न होने से रोजमर्रा के कामकाज के साथ व्यापार और आवागमन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
आवागमन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर
पीपा पुलों के चालू न होने से क्षेत्रीय आवागमन बुरी तरह प्रभावित है। किसान, छात्र, व्यापारी और श्रद्धालु वैकल्पिक मार्गों से लंबी दूरी तय करने को मजबूर हैं। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि आवाजाही बाधित होने से बाजारों में ग्राहकों की संख्या घटी है, जिससे रोज़गार और आमदनी पर सीधा असर पड़ा है।
सुरक्षा और आपात सेवाओं की चुनौती
पुल न होने की स्थिति में एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस वाहनों को लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है। आपात परिस्थितियों में समय पर सहायता पहुंचना मुश्किल हो रहा है, जिससे लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है।
प्रशासनिक समय-सीमा पर सवाल
निर्माण कार्य की धीमी रफ्तार को लेकर स्थानीय लोगों ने तय समय-सीमा और जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि हर वर्ष पीपा पुल का निर्माण समय पर न होने से उन्हें अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जनप्रतिनिधियों से हस्तक्षेप की मांग
स्थानीय नागरिकों ने जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन से हस्तक्षेप कर निर्माण कार्य में तेजी लाने, अतिरिक्त संसाधन लगाने और स्पष्ट समय-सीमा तय करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं।
प्रशासन का दावा
लोक निर्माण विभाग का दावा है कि जलधारा नियंत्रण के बाद निर्माण कार्य में तेजी लाई जाएगी और प्रयास है कि जल्द से जल्द पीपा पुल को आम जनता के लिए खोल दिया जाए।
Author: Ashu Jha : Bharat Kranti News
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