रूस, ईरान और भारत: चाबहार पोर्ट पर अमेरिका की नई चुनौती
रिपोर्ट: आशु झा | भारत क्रांति न्यूज़
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद अब ईरान के चाबहार पोर्ट को दी गई छूट वापस ले ली है। इस फैसले की भारत की ओर से समीक्षा की जा रही है।
चाबहार पोर्ट भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अमेरिका के इस फैसले ने भारत के सामने नई जटिलताएं खड़ी कर दी हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा:
“हमने अमेरिकी मीडिया में इस संबंध में बयान देखा है। हम वर्तमान में भारत पर इसके प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। भारत, ईरान के दक्षिणी तट पर स्थित चाबहार पोर्ट के विकास में एक प्रमुख भागीदार है। वर्तमान में भारत इस पोर्ट पर शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल का संचालन कर रहा है।”
ट्रंप प्रशासन का आदेश
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आदेश 29 सितंबर 2025 से लागू होगा।
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इसके बाद कोई भी कंपनी चाबहार पोर्ट के संचालन में शामिल होती है, तो उस पर अमेरिका की ओर से प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
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भारत ने इस पोर्ट पर पहले ही अरबों रुपये का निवेश किया है और एक नया टर्मिनल भी बना रहा है।
चाबहार पोर्ट का महत्व
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व्यापारिक महत्व: अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों तक सामान पहुंचाने का एक प्रमुख मार्ग।
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रणनीतिक महत्व: पाकिस्तान के साथ बढ़ती तनातनी के बीच भारत के लिए एक वैकल्पिक रूट।
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इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर: भारत, रूस और ईरान की साझेदारी में शुरू किया गया।
अमेरिका के फैसले का प्रभाव
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भारत के निवेश और संचालन योजनाओं पर असर।
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अफगानिस्तान और मध्य एशिया को सप्लाई चैन में बाधा।
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भारत-अमेरिका संबंधों में नई तनावपूर्ण स्थिति।
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रूस और ईरान के साथ भारत के सहयोग पर अप्रत्यक्ष दबाव।
निष्कर्ष
चाबहार पोर्ट भारत के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक और आर्थिक परियोजना है। अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट रद्द होने के बाद भारत को नई रणनीति बनानी होगी ताकि पोर्ट पर निवेश और संचालन प्रभावित न हो।
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Author: Ashu Jha : Bharat Kranti News
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