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देश का ऐसा गांव जहां दिवाली के दिन मनाया जाता है मातम, जानिए 235 साल पुराने नरसंहार की कहानी
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कर्नाटक के मेलकोटे में मंडयम अयंगर समुदाय नरका चतुर्दशी को ‘काली दिवाली’ के रूप में मनाता है, जब टीपू सुल्तान की सेना ने 700-800 लोगों का किया था कत्लेआम।
मेलकोटे (कर्नाटक) से रिपोर्ट:
देशभर में दिवाली की रौनक और खुशियों का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन कर्नाटक के मंड्या जिले के प्राचीन शहर मेलकोटे (तिरुनारायणपुरम) में यह दिन सदियों पुराने दर्द की याद दिलाता है। यहां के मंडयम अयंगर ब्राह्मण समुदाय के लोग नरका चतुर्दशी को ‘काली दिवाली’ के रूप में मनाते हैं।
इतिहास के अनुसार, 235 साल पहले इसी दिन टीपू सुल्तान की सेना ने मेलकोटे और आसपास के इलाकों में सैकड़ों निर्दोष हिंदुओं का नरसंहार किया था। उस दिन कोई दीया नहीं जलता, बल्कि समुदाय शोक मनाता है और पूर्वजों की आत्मा को श्रद्धांजलि देता है।
टीपू सुल्तान ने छीनी गांव की खुशियां
मेलकोटे श्री वैष्णव संत रामानुजाचार्य का कर्मस्थल रहा है। यहां चेलुवनारायण स्वामी मंदिर और योग नरसिंह मंदिर जैसे प्राचीन तीर्थस्थल हैं। 12वीं शताब्दी में होयसल राजा विष्णुवर्धन के संरक्षण में मंडयम अयंगर समुदाय यहां बस गया था। विजयनगर साम्राज्य के दौरान यह समुदाय फला-फूला और प्रशासनिक पदों पर कार्यरत रहा।
लेकिन 18वीं शताब्दी में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के आगमन ने सब कुछ उजाड़ दिया।
दिवाली के दिन हुआ 700-800 लोगों का कत्लेआम
इतिहासकारों और समुदाय के बुजुर्गों के अनुसार, 1790 ईस्वी के नरका चतुर्दशी के दिन मेलकोटे के अयंगर ब्राह्मण श्रीरंगपट्टना के नरसिंह मंदिर में दिवाली मना रहे थे। तिरुमाला अयंगर नामक विद्वान पर टीपू ने षड्यंत्र का शक किया। इसके चलते उसने अपनी सेना को आदेश दिया और मंदिर में घुसकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों समेत करीब 700-800 लोगों का कत्लेआम करवा दिया।
उस दिन कत्ल की शवें पास के इमली के पेड़ों पर लटकाई गईं। भारद्वाज गोत्र के अधिकांश सदस्य निशाना बने, जिससे समुदाय गहरे सदमे में चला गया।
आज भी मनाया जाता है शोक
नरसंहार के बाद मेलकोटे खाली हो गया। मंदिर परिसर वीरान हो गए और 29 पवित्र तालाब सूख गए। संस्कृत शिक्षा के केंद्र भी प्रभावित हुए।
आज भी मंडयम अयंगर परिवार नरका चतुर्दशी पर शोक सभा आयोजित करता है। दीये नहीं जलाए जाते और पूर्वजों की याद में प्रार्थना की जाती है।
इतिहास में गलतियां
समुदाय के अनुसार यह नरसंहार श्रीरंगपट्टना में हुआ था, मेलकोटे में नहीं, जैसा कुछ इतिहास की किताबों में लिखा गया है। टीपू ने हिंदू मंदिरों को दान भी दिया, लेकिन नरसंहार की क्रूरता का प्रमाण इतिहास में दर्ज है।
2014 में डॉ. एमए जयश्री और प्रो. एमए नरसिम्हन ने इस घटना पर शोध पेपर पेश किया, जो समुदाय की मौखिक परंपराओं पर आधारित है।
Author: Bharat Kranti News
Anil Mishra CEO & Founder, Bharat Kranti News Anil Mishra is the CEO and Founder of Bharat Kranti News, a platform dedicated to fearless and unbiased journalism. With a mission to highlight grassroots issues and promote truth in media, he has built Bharat Kranti News into a trusted source of authentic and people-centric reporting across India.









