केंद्र सरकार ने अवैध घुसपैठ से जनसंख्या बदलाव पर गठित की उच्चस्तरीय समिति

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केंद्र सरकार ने अवैध घुसपैठ से जनसंख्या बदलाव पर उच्चस्तरीय समिति गठित की

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश में अवैध घुसपैठ के कारण हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव का अध्ययन करने और नीतिगत सुझाव देने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का फैसला किया है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर दिए गए भाषण के बाद उठाया गया है। उस भाषण में प्रधानमंत्री ने अवैध घुसपैठियों से उत्पन्न खतरों का उल्लेख करते हुए ‘डेमोग्राफी मिशन’ शुरू करने की घोषणा की थी।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश में कुछ तत्त्व सुनियोजित तरीके से जनसांख्यिकी बदलने का प्रयास कर रहे हैं और आदिवासियों की जमीनें हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। इस विषय पर उन्होंने असम दौरे के दौरान भी जोर दिया और कहा कि सीमावर्ती राज्यों में विशेष रूप से निगरानी बढ़ाई जाएगी।


कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंजूरी दी

सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्ताव 10 सितंबर 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में ‘ऑन टेबल एजेंडा’ के रूप में रखा गया और बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने समिति के उद्देश्यों और संभावित कार्यविधि के बारे में जानकारी दी।

समिति की सदस्य संरचना और विवरण अधिसूचना जारी होने के बाद सार्वजनिक किए जाएंगे। इसमें सुरक्षा प्रतिष्ठान, गृह मंत्रालय के अधिकारी, और सीमावर्ती राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होने की संभावना है।

समिति का मुख्य फोकस सीमावर्ती राज्यों पर रहेगा, क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों ने बार-बार इन क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय बदलावों को लेकर चिंता जताई है।


अमित शाह ने कहा – सीमावर्ती राज्यों में घुसपैठ है सुनियोजित साजिश

पिछले महीने राजधानी में आयोजित ‘वाइब्रेंट विलेजेज’ कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा हैं।

उन्होंने राज्यों के मुख्य सचिवों और सीमा सुरक्षा बलों के प्रमुखों को इस मामले पर विशेष निगरानी रखने का निर्देश दिया। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि अवैध घुसपैठियों की गतिविधियों पर नजर रखना अब राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन गया है।


अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण

सूत्रों के अनुसार, यूरोपीय आयोग भी इसी तरह का अध्ययन कर रहा है और उसने ‘डेमोग्राफी टूलबॉक्स’ तैयार किया है। इसमें शामिल हैं:

  • जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से निपटने के लिए कानूनी उपाय

  • नीति और नियमों में सुधार

  • वित्तीय प्रोत्साहन और उपाय

सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारतीय उच्चस्तरीय समिति इसी मॉडल को ध्यान में रखते हुए स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार उपाय सुझाएगी।


सीमावर्ती राज्यों और चुनावी महत्व

उत्तर प्रदेश, असम और अन्य सीमावर्ती राज्यों के पुलिस अधिकारी और डीजीपी ने अपने शोध पत्रों में नेपाल और बांग्लादेश से सटी सीमाओं में जनसांख्यिकीय बदलाव का उल्लेख किया था।

इस साल बिहार, और अगले साल असम और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। ये तीनों सीमावर्ती राज्य हैं, इसलिए अवैध घुसपैठ का मुद्दा राजनीतिक रूप से और अधिक प्रमुखता से उठ सकता है

विशेषज्ञों का कहना है कि उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट आने के बाद सरकार सख्त प्रशासनिक और कानूनी कदम उठाने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।


संभावित प्रभाव और दिशा

  1. सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।

  2. अवैध घुसपैठ की निगरानी के लिए तकनीकी और प्रशासनिक उपाय लागू होंगे।

  3. जनसांख्यिकीय अध्ययन के आधार पर नीतिगत सुधार और कानून में बदलाव किए जा सकते हैं।

  4. चुनावी राज्यों में यह मुद्दा राजनीतिक बहस का प्रमुख विषय बन सकता है।

  5. भविष्य में आवास, जमीन और सामाजिक नीतियों में बदलाव की संभावना

Shiv Shankar Dubey : Bharat Kranti News
Author: Shiv Shankar Dubey : Bharat Kranti News

शिव शंकर दुबे मुख्य संपादक, भारत क्रांति न्यूज़ शिव शंकर दुबे भारत क्रांति न्यूज़ के मुख्य संपादक हैं। वे निष्पक्ष और सच्ची पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में भारत क्रांति न्यूज़ ज़मीनी मुद्दों, जनहित समाचार और सरकारी नीतियों के प्रभाव को गहराई से कवर करता है। वे युवा पत्रकारों को प्रेरित करते हैं और मानते हैं कि सशक्त पत्रकारिता लोकतंत्र को मज़बूत बनाती है।

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