भारत में ‘एक देश, एक चुनाव’ की दिशा में ऐतिहासिक कदम
नई दिल्ली 18 सितंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे। यह निर्णय भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
समिति की रिपोर्ट का महत्व
इस प्रस्ताव की नींव पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति की रिपोर्ट पर रखी गई है। समिति ने सुझाव दिया था कि यदि देश में चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तेजी लाई जा सकेगी। इसके माध्यम से समय और धन की बचत होगी, साथ ही प्रशासनिक स्थिरता में भी वृद्धि होगी।
चुनावी खर्च में कमी
‘एक देश, एक चुनाव’ का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। इस योजना से चुनावी खर्च में कमी आने की उम्मीद है, जो राजनीतिक दलों और सरकारी खजाने के लिए फायदेमंद होगा। वर्तमान में, हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते हैं, जिससे प्रशासन पर दबाव बढ़ता है और विकास कार्यों में बाधा आती है।
गृह मंत्री का समर्थन
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में इस योजना को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ से संसाधनों की बचत होगी और जनता बार-बार चुनावी प्रक्रिया से गुजरने से बचेगी। शाह ने कहा कि इससे देश में स्थिरता आएगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी, साथ ही चुनावी प्रचार में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये भी बचाए जाएंगे।
संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से चुनावी प्रक्रिया में एक नई जान आएगी। यह राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश के विकास कार्यों को भी गति देगा। चुनावों के बार-बार होने से सरकार के लिए जो निरंतरता में बाधा आती है, वह भी कम होगी।
‘एक देश, एक चुनाव’ का यह ऐतिहासिक फैसला भारतीय लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है। इससे जुड़ी हर ताज़ा जानकारी और विश्लेषण के लिए हमारे साथ जुड़े रहें, ताकि आप इस महत्वपूर्ण विकास पर नजर रख सकें। यह कदम न केवल चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाएगा, बल्कि देश की राजनीतिक स्थिरता और विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
News by भारत क्रांति न्यूज