‘एक देश-एक चुनाव’ लोकतंत्र का अंत? अखिलेश यादव का फेसबुक पोस्ट बना सुर्खियों का केंद्र
रिपोर्ट: आशु झा | मुख्य संपादक: शिव शंकर दुबे
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए ‘एक देश-एक चुनाव’ के खिलाफ बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस प्रस्ताव को लोकतंत्र और संविधान के लिए गंभीर खतरा बताया और भाजपा पर तानाशाही लाने की साजिश का आरोप लगाया। उनकी इस पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है।
‘एक देश-एक चुनाव’ से लोकतंत्र पर हमला: अखिलेश
अखिलेश यादव ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “लोकतंत्र की बुनियाद बहुलता और विविधता है। ‘एक देश-एक चुनाव’ का विचार लोकतंत्र के खिलाफ है। यह योजना क्षेत्रीय मुद्दों और संघीय ढांचे को खत्म करने के साथ-साथ तानाशाही को जन्म देगी।”
अखिलेश ने साफ तौर पर कहा कि भाजपा सत्ता के केंद्रीकरण की साजिश रच रही है। उन्होंने लिखा कि अगर भाजपा को ‘एक देश-एक चुनाव’ इतना जरूरी लगता है, तो केंद्र और राज्यों की सभी सरकारों को भंग कर तुरंत चुनाव कराना चाहिए।
संविधान और आरक्षण पर खतरा?
अखिलेश ने चेताया कि ‘एक देश-एक चुनाव’ से संविधान को खत्म करने और आरक्षण को कमजोर करने की जमीन तैयार होगी। उन्होंने लिखा, “भाजपा इस योजना के जरिए संविधान को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। कल ये राज्यसभा को भंग करने और ‘एक देश-एक सभा’ का नारा देने लगेंगे। इससे राज्यों के अधिकार और संघीय ढांचा खत्म हो जाएगा।”
महंगाई, बेरोजगारी से ध्यान भटकाने का प्रयास
अखिलेश यादव ने फेसबुक पोस्ट में भाजपा पर असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, “महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और जनता की अन्य समस्याओं को सुलझाने के बजाय भाजपा केवल चुनावों के तिकड़म में लगी है। ‘एक देश-एक चुनाव’ एक ऐसा जुमला है, जिसका मकसद सत्ता बचाने के अलावा कुछ नहीं।”
चुनावों के निजीकरण का डर
अखिलेश ने इस योजना में चुनावों के निजीकरण की आशंका जताई। उन्होंने लिखा, “इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए सरकार कहेगी कि उसके पास संसाधन नहीं हैं और फिर यह काम निजी ठेकेदारों को सौंप दिया जाएगा। इससे चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर और नतीजों से छेड़छाड़ का खतरा बढ़ जाएगा।”
‘एक देश-एक चुनाव’ पर उठाए कई सवाल
अखिलेश ने फेसबुक पोस्ट में भाजपा से कई सवाल पूछे:
- अगर किसी राज्य की सरकार गिराई गई तो क्या पूरे देश में चुनाव होंगे?
- राष्ट्रपति शासन की स्थिति में क्या जनता को अगले आम चुनावों तक इंतजार करना पड़ेगा?
- क्या सभी ग्राम पंचायत, नगर निगम और राज्य निकायों के चुनाव भी साथ होंगे?
जनता से सीधी अपील: ‘चेत जाइए, भविष्य बचाइए’
अखिलेश यादव ने जनता से अपील की कि वे इस योजना के खतरों को समझें और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक हों। उन्होंने लिखा, “गांव-गांव, गली-गली में जाकर लोगों को समझाइए कि यह योजना उनके अधिकार, आरक्षण और संविधान को खत्म करने की साजिश है। चेत जाइए, भविष्य बचाइए।”
भाजपा की मंशा पर तीखा प्रहार
फेसबुक पोस्ट में अखिलेश यादव ने भाजपा की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “भाजपा ‘एक देश’ की बात करती है, लेकिन देश की एकता को तोड़ रही है। ‘एक चुनाव’ की बात करने वाले असल में ‘एक पार्टी, एक शासक’ का सपना देख रहे हैं।”
राजनीतिक गलियारों में उबाल
अखिलेश यादव की इस पोस्ट के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। जहां समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं भाजपा इसे विकास के लिए जरूरी कदम बता रही है।
क्या ‘एक देश-एक चुनाव’ वाकई लोकतंत्र के लिए खतरा है? या यह भारत को नई दिशा देने का कदम है? भारत के राजनीतिक भविष्य पर इस बहस ने नया मोड़ ले लिया है।
रिपोर्ट: आशु झा | मुख्य संपादक: शिव शंकर दुबे